🌏 अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2025: क्यों ज़रूरी है बाघों की रक्षा करना?
हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके तेजी से घटते प्राकृतिक आवास की रक्षा करना है।
🐅 बाघ: जंगल का राजा और पारिस्थितिकी का संतुलन
बाघ सिर्फ ताकत और शान का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ये हमारे जंगलों की सेहत का भी संकेत हैं। अगर जंगलों में बाघ हैं, तो इसका मतलब है कि वहां का पारिस्थितिक तंत्र स्वस्थ है।
✅ भारत और बाघ: एक गहरा रिश्ता
भारत में विश्व के कुल बाघों का लगभग 75% हिस्सा पाया जाता है। प्रोजेक्ट टाइगर (1973) की शुरुआत से भारत ने बाघों के संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
2022 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाघों की संख्या बढ़कर 3,682 हो गई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।
🌿 अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत
29 जुलाई 2010 को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित “Tiger Summit” में यह दिवस घोषित किया गया। इस सम्मेलन में 13 देशों ने बाघों की संख्या को 2022 तक दोगुना करने का संकल्प लिया था, जिसे "TX2 लक्ष्य" कहा गया।
📢 2025 की थीम
इस साल की थीम है: "Coexisting with Tigers: Protecting Habitats, Empowering Communities"
(बाघों के साथ सह-अस्तित्व: आवास की सुरक्षा, समुदायों का सशक्तिकरण)
🛡️ क्या कर सकते हैं हम?
वन्यजीवों के प्रति जागरूकता फैलाएं। प्लास्टिक और जंगल कटाई से दूर रहें। वन विभाग के प्रयासों का समर्थन करें। पर्यटन करते समय वन्यजीव नियमों का पालन करें।
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"बचाओ बाघ, बचाओ जंगल – यही है हमारा असली दंगल!"
✍️ निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस न सिर्फ बाघों की सुरक्षा की बात करता है, बल्कि हमें यह भी याद दिलाता है कि मानव और प्रकृति का संतुलन कितना आवश्यक है। यदि हम आज नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियाँ बाघों को सिर्फ किताबों में पढ़ेंगी।
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