भारतीय शेयर बाजार ने आज, यानी 25 जुलाई 2025 को, काफी भारी गिरावट देखी है। बीएसई सेंसेक्स लगभग 500 अंकों से नीचे आकर 83,409 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 24,900 के नीचे पहुँच गया। इस उतार-चढ़ाव के पीछे कई वजहें हैं, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के कारकों का मेल हैं।
- कुछ बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे उम्मीद से कम निकलने से निवेशकों की चिंता बढ़ी है। जैसे कि बजाज फाइनेंस ने पहली तिमाही में उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया, जिससे वित्तीय क्षेत्र के शेयर दबाव में आ गए। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और मेटल सेक्टर के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली। निफ्टी ऑटो और निफ्टी मेटल इंडेक्स में तगड़ी गिरावट ने कुल मिलाकर बाजार की स्थिति को कमजोर किया।
- इसके साथ ही, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने लगातार बिकवाली जारी रखी है। जुलाई 2025 के महीने में, FIIs ने लगभग 17,330 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए। इसके पीछे मुख्य वजह भारतीय बाजार की उच्च कीमतें और विदेशी निवेश के लिए अन्य विकल्पों की उपलब्धता बताई जा रही है।
- वैश्विक स्तर पर भी कुछ अनिश्चितताएं हैं, खासकर अमेरिका और भारत के बीच चल रहे व्यापार समझौते को लेकर 1 अगस्त की डेडलाइन नजदीक आते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा संभावित टैरिफ लगाने की धमकी ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है।
- इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयरों में भी आज रिकॉर्ड गिरावट करीब 30% दर्ज की गई। यह और गिरावट की उम्मीदों के साथ बाजार की नकारात्मक भावना को और बढ़ावा देता है। इसकी वजह है मार्केट कपलिंग के लिए मिली नियामकीय मंजूरी, जिसका असर इस स्टॉक पर काफी भारी पड़ा।
- निफ्टी 50 के 25,000 के स्तर का टूटना बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ाने वाला साबित हो रहा है। अगर निफ्टी 24,050 के समर्थन स्तर पर बंद नहीं होता तो आगे गिरावट का जोखिम बनी हुई है।
- तो कुल मिलाकर, आज की गिरावट कई कारणों का नतीजा है—कंपनियों के कमजोर आर्थिक परिणाम, FII की बिकवाली, वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताएं और कुछ तकनीकी कारक। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे घबराएं नहीं, बल्कि लंबे समय के लिए सोचकर मजबूत प्रोफाइल वाली कंपनियों में अपने निवेश को बनाए रखें। थोड़ी अस्थिरता तो बाजार का हिस्सा है, हर दिन ऐसा होता रहता है।
0 टिप्पणियाँ